2023 कजरी तीज पूजा विधि और सम्पूर्ण जानकारी

 नमस्कार मित्रों आज हम आपको कजरी तीज पूजा विधि से जुड़ी सारी जानकारी देने वाले हैं इस पोस्ट में हम बात करेंगे की कजरी तीज 2021 में कब है ,कजरी तीज पूजा विधि और कजरी तीज की कथा और पूजन सामग्री और साथ ही साथ इसमें हम आपको बताएंगे की कजरी तीज का महत्व और लाभ क्या है और कजरी तीज पर नीमड़ी माता की पूजा क्यों की जाती है और कजरी तीज 2021 शुभ मुहूर्त के बारे में बात करेंगे

 

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kajari teej 2021 || कजरी तीज पूजा विधि,सामग्री,कथा,लाभ ,महत्व और मुहूर्त्त

कजरी तीज 2021 में कब है-

( kajari teej 2021 kab hai)

पावन पर्व कजरी तीज 2021 में 25 अगस्त बुधवार को पड़ रही है कजरी तीज का व्रत भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है कजरी तीज को कजली तीज भी कहते है

 

कजरी तीज व्रत 2021 शुभ मुहूर्त

(kajari teej vrat 2021 shubh muhurt )-

 

कजरी तीज के शुभ मुहूर्त का आरंभ-

तृतीया तिथि प्रारंभ- शाम 4 : 05 मिनट से (24 August )

तृतीया तिथि समाप्त – शाम 04 :18 मिनट तक (25 August )

 

कजरी तीज व्रत का महत्व 

(kajari teej vrat ka mahatav)-

ऐसी मान्यता है कि कजरी तीज का व्रत रखने वाले भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और ऐसा माना जाता है कि जिस लड़की की शादी ना हो रही है तो यह व्रत करने से उसके शादी में आने वाली बाधाओं बाधाएं दूर होती हैं और साथ ही साथ  अच्छा जीवन साथी और सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है

कजरी तीज पूजन विधि ( Kajari Teej Puja Vidhi)–
 

1) सबसे पहले कजरी तीज के दिन प्रातः काल नहा कर साफ वस्त्र धरण करें

2) शिव जी और माता गौरी की मिट्टी या गाय के गोबर की मूर्ति बना लीजिए या फिर भगवान शिव व पार्वती माता की मूर्ति खरीद लें

3)पूजा चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए माता गौरी  शिव को स्थापित करें इसके बाद शिव-गौरी का विधि से पूजन करें

4) पूजन के दौरान माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री चढ़ाएं

5) और भगवान शिव को बेल पत्र,गंगा जल, धतूरा, भांग, गाय का दूध,मदार का फूल,आदि अर्पित करें और भगवान शिव और गौरी की कथा सुनें.

6) अब धूप और दीप जलाकर आरती करें.

7) शाम को चन्द्रमा का दर्शन करने के बाद व्रत का पारण कर ले

 कजरी तीज पूजन सामग्री-
( kajari teej pooja samagri )
 

1) औरतों को सोलह शृंगार करना भी चाहिए

2) औरतों के सोलह श्रृंगार का सामान होना चाहिए

 

3) सोलह श्रृंगार का सामान मां पार्वती को अर्पित करना चाहिए

 

4 )मेहंदी कंगन चूड़ी होना चाहिए

 

5) काजल बिंदी सिंदूर होना चाहिए

 

6 )अंगूठी, कमरबंद, बिछुआ, पायल होना चाहिए

 

7) अगरबत्‍ती, कुमकुम, सत्‍तू, फल होना चाहिए

 

8) लाल कपड़े, गजरा, मांग टीका, होना चाहिए

 

9) नथ या कांटा, कान के गहने, हार,होना चाहिए

 

10) मिठाई, रोली, मौली-अक्षत आदि। होना चाहिए

इस दिन नीमड़ी माता की पूजा क्यों की जाती है-

( Nimadi mata ki pooja)

 

 दोस्तों कजरी तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ नीमड़ी माता की भी पूजा की जाती है क्या आपको पता है कि नीमड़ी माता कौन है और इनकी पूजा क्यों होती है नीमड़ी माता की पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा है मान्यता है कि नीमड़ी माता की पूजा संतान के लिए की जाती है

तीज व्रत सुख और सौभाग्य के साथ सुहाग के लिए किया जाता है इसलिए संतान से भी यह व्रत जुड़ा होता है नीम की डाली को नीमड़ी माता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है नीमड़ी माता की पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा चली आ रही है और संतान की सुरक्षा के लिए इनकी पूजा की जाती है 

 

कजरी तीज व्रत कथा –

( kajari teeh vrat katha)

 

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था और उस बीच भाद्रपद महीने की कजली तीज आई । ब्राह्मण की पत्नी ने तीज माता का व्रत किया / और शाम को उसने अपने पति से कहा वाह कजरी तीज का व्रत रखी है उसको सत्तू की जरूरत है वह कहीं से लेकर आए ।

 

अब गरीब ब्राह्मण कहने लगा कि अब मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं,तो उसकी पत्नी कहने लगी कि उसको पूजा में जरूरत है वह चाहे जहां से चाहे चोरी करके चाहे जैसे लेकर आये । अब ब्राम्हण बड़ा चिंतित हो गया और वह घर से बाहर निकला और एक साहूकार की दुकान में घुसकर सत्तू निकालने लगा और वह इमानदारी से सवा किलो ही सब को निकाला जितना उसको पूजा में जरूरत थी

 

लेकिन दुकान के नौकरों ने उसको यह करते हुए देख लिया और वह पकड़ा गया जब वह पकड़ा गया तो वह कहा कि वह चोर नहीं है उसकी पत्नी ने तीज का व्रत रखा है जिसमें उसको सत्तू की जरूरत पड़ेगी वह केवल सवा किलो सत्तू पूजा के लिए लेने आया वह चोर नहीं है

 

ब्राह्मण को साहूकार के सामने ले जाया गया , ब्राह्मण ने अपनी सारी कहानी साहूकार को सुनाई तो साहूकार द्रवित हो गया और कहां कि आज से तुम को जो कुछ जरूरत होगी मेरे पास आना यहां से ले जाना।

तो यह कह कर साहूकार ने उसको सत्तू और सारी पूजा की सामग्री उपलब्ध करा कर दक्षिणा ,सोना, चांदी ,आदि देकर उसको घर की ओर प्रस्थान कराया और खूब विधि विधान से कजली माता की पूजा की गई

जिस तरह से कजली माता की कृपा दीन हीन ब्राह्मणों पर हुई उसी तरह से कजली मां कृपा सभी पर बरसती रहे

धन्यवाद मित्रों आप सभी को यह पोस्ट पढ़ने के लिए अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो अधिक से अधिक लोगों में शेयर जरूर करें

 

राधे राधे

कजरी तीज व्रत के लाभ–

( kajari teej vrat ke labha )

कजरी तीज व्रत करने से सदावर्त एवं बाजपेयी यज्ञ करवाने का फल प्राप्त होता है। जिससे स्वर्ग में रहने का पुण्य प्राप्त होता है।कजरी तीज व्रत करने से अगले जन्म मे संपन्न परिवार में जन्म मिलता है। इसके अलावा जीवन साथी का संयोग मिलता है।

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