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आज हम आप सभी को चटपटा माता की कहानी इन हिन्दी बताएंगे | यह जो चटपट माता की कथा माँ और बेटी की है सखियों हमने पिछले पोस्ट में चटपट माता के गीत और चटपट माता की पूजा कैसे करें इस पर पोस्ट दिया है
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तो चलिए आज हम आप सभी को सुनाते हैं
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चटपटा माता की कहानी दुरदुरिया की कहानी |
चटपट माता की कथा —
एक गांव में एक मां और बेटा रहते थे उनके पिता नहीं थे मां ने उस बेटे को बहुत प्यार से पाला था धीरे धीरे जब बेटा बड़ा हुआ तो वह मां से जिद करने लगा कि मां अब मैं बाहर कमाने के लिए जाऊंगा क्योंकि अब हमारी उम्र के सभी लड़के बाहर जा रहे हैं कमाने के लिए इसलिए हम अकेले हो जाएंगे इसलिए हम भी कमाने जाना चाहते हैं
मां बहुत चिंतित हुई और वह बाहर कमाने के लिए भेजना नहीं चाहती थी क्योंकि वह बच्चा ही मां की आखरी उम्मीद और सहारा था मां को डर था कहीं या बाहर गया और जाकर हमें भूल ना जाए फिर भी मैं उससे बहुत रोकी लेकिन वह बच्चा ना माना, वह कहने लगा मैं मैं आपको हर 15 दिन पर पत्र लिखकर भेजूंगा अपना हाल-चाल दूंगा
फिर मां कहने लगी बेटा जब जाना ही चाहते हो तो जाओ वह बच्चा परदेस निकल गया और वहां जाकर वह बहुत व्यस्त रहने लगा पैसे कमाने की चाहत में, इधर अकेली मां बहुत घबराने लगी कि हमारे बच्चे की कोई खबर नहीं आ रही है मां रोज उसके पत्र का इंतजार करती और शाम हो जाता और कोई संदेश ना मिलता इसी तरह से माने बहुत दिन तक इंतजार किया दो-तीन साल बीत गए थे और अपनी बेटी की कोई खबर नहीं मिली थी
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तो बहुत दिन इंतजार करने के बाद मां के मन में एक विचार आया कि लग रहा है मेरा बच्चा खत्म हो गया है इसलिए उसका कोई खबर नहीं आ रहा है तो जब मेरे पति नहीं रहे मेरा जब बच्चा नहीं रहा तुम मेरा धरती पर रहने का कोई उद्देश्य नहीं अब मैं भी आज अपने जीवन को समाप्त कर लूंगी ऐसा मन में वह विचार करके अपना घर बार छोड़कर जंगल की ओर बढ़ गई और वहां आगे जाते जाते एक नीम का पेड़ मिला और वहां पर चबूतरा बना हुआ था
और जाकर वहां पर बैठकर विचार करने लगी की लाओ एक बार माता रानी को प्रणाम कर ले और जैसे ही प्रणाम की वहां पर एक बूढ़ी औरत उनके सामने आ गई वह पूछने लगी कि क्या हुआ बेटी क्यों इतनी परेशान हो तो वह कहने लगी कि जा मैया तू आपन काम करा का हमारा दुख काट देबू तो बूढ़ी मैया कहने लगी बेटी बताओ तो सही तोहरे पास का दुख बा अगर हमारे बस में हुए हम जरूर काट देबे तो मां ने अपनी सारी व्यथा उस बूढ़ी मैया को कहा सुनाई बूढ़ी मैया ने उनके आंसू पूछे और कहीं बेटी जा हम एक बतावत अही वैसे करुँ
कहीं हां मैया बतावा हम बिल्कुल वैसे करो, तो बूढ़ी मां बताया कि बेटी जा आज के चौथे दिन तोहाय बेटवा आए और खूब धन दौलत लेकर आए वह धन दौलत तू पहले घर में न ले जाओ पहले तो चटपट माईया के पूजा करुँ तब उस सामान अंदर लेकर जाऊ तब वह औरत बहुत खुश होकर घर वापस चली आई, और अब उसके मन में मानो या विश्वास हो गया था कि अब आज के चौथे दिन मेरा बेटा आएगा, अब मैं बहुत खुश होकर चटपट मां की पूजा की सामग्री इकट्ठा करने लगी
और ऐसे ही दो-तीन दिन बीते, और रात को उनका दरवाजा आवाज किया तो वह दरवाजा खोल कर देखी तो उनका बेटा था बेटा कहने लगा मैं यह सब सोना चांदी है इसको अंदर ले चलो तो मां कहने लगी नहीं बेटा अभी नहीं इसको यहीं रख दो कल हम चट मां की पूजा करेंगे तब हम इसे अंदर ले चलेंगे
अब सुबह हुई वह सभी सुहागिनों को नेवत दी थी सुबह सभी सुहागिन आई और बहुत विधि पूर्वक चटपट मां की पूजा की गई चटपट मां की कहानी कही गई और फिर अंत में चटपट मां की आरती और उसके साथ-साथ चटपट मां का फेरी गीत हुआ इस तरह से झटपट माता की पूजा संपन्न हुई फिर सुहागिन के विधि पूर्वक सेवा कई के उनका सब का विदा करें और चटपट माता का बहुत-बहुत धन्यवाद दी
कहीं जैसे मां हमारी लाज रखी वैसे यह दुनिया के लाज रखा मां l
बोलो चटपट मैया की जय
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👉 यहां पर आपको ऐसे ही कहानी विद लिरिक्स के साथ मिलते रहेंगे l और महिला गीत से जुड़े वीडियोस आपको मिला करेंगे l
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